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भारत में सबसे कम उम्र का वृद्ध आश्रम बनाकर चलाने वाला युवा रोहन देव सामाजिक
“रोहन -एक विचार”
मात्र 20 वर्ष की आयु में मन में समाज सेवा का भाव लिए ग्रामीण क्षेत्र का एक युवक सीमित संसाधनों के साथ निराश्रित व्यक्तियो के लिए एक स्थान का निर्माण कर दे तो निसंदेह यह प्रशंसनीय है और समाज मे ऐसे व्यक्ति प्रेरणा के स्रोत हैं जिनका अनुसरण करके आज की युवा पीढ़ी भविष्य में अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित होती है ।
जी हाँ ! हम “रोहन देव समाजिक” की ही बात कर रहे हैं जिनका जन्म 12/ 8 /92 को ग्राम ग्वारखेड़ा में हुआ बचपन से ही मां सावित्री देवी, पिता श्री जीवाराम के उच्च संस्कारों के कारण उनके मन में वृद्धों वह निराश्रितो के प्रति सेवा का भाव रहा , रोहन से जब हमने बात की तो उन्होंने हमें बताया कि वह जब 12वीं क्लास में पढ़ते थे और गांव से बिलारी ट्यूशन आते थे तो अक्सर अपनी साइकिल के कैरियर पर गांव से आने जाने वाले वृद्ध जनों को बिठा लिया करते थे और ऐसा करके उनके मन को बहुत खुशी मिलती थी । उन्हें नहीं पता था कि भविष्य में वृद्धों की सेवा ही उनके जीवन का उद्देश्य बन जाएगी । बेंगलुरु में 2009 से 2011 के मध्य डी फार्मा का डिप्लोमा करने के पश्चात रोहन अपने जीवन में समाज सेवा का भाव लिए कुछ नया करना चाहते थे , इसी दौरान रोहन ने श्री एसके मलिक ,श्री संजय सामाजिक, श्री प्यारेलाल, दिलावर हुसैन आदि के साथ एक छोटा सा ग्रुप बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में जनसेवा का कार्य करते रहे , सन 2014 में उन्होंने “सामाजिक आश्रय मानव सेवा संस्थान” की नीव रखी जोकि बिलारी में श्री संजय समाजिक द्वारा निशुल्क दिये गये मकान से शुरू हुआ । इस संस्थान का उद्देश्य वृद्धजनों , निराश्रितों को जो परिवार के द्वारा ठुकराए गए या फिर जिनका कोई नहीं उनको सहारा देना है । प्रशासन द्वारा शुरू से ही संस्थान को पूर्ण सहयोग मिला जिस कारण धीरे-धीरे संस्थान में निराश्रितो की संख्या बढ़ने लगी ।
सन 2019 में ग्राम ग्वारखेड़ा के श्री पूरन समाजिक द्वारा बड़ा दिल दिखाकर 2.25 बीघा जमीन इस संस्थान को दान में दे दी व स्वयं भी इस संस्था से जुड़ गए । परिणाम स्वरूप संस्थान बिलारी से ग्राम ग्वारखेड़ा मैं अपनी स्वयं की जगह पर स्थापित हो गया । समय-समय पर समाजसेवी लोगों व प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग के कारण आज संस्थान में करीब 50 निराश्रित वृद्ध सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं , जिसका पूर्ण श्रेय रोहन समाजिक को जाता है ।

सन 2014 से स्वतंत्र रूप से “सामाजिक आश्रय मानव सेवा संस्थान” का संचालन रोहन के लिए आसान नहीं था , उनका संयुक्त परिवार जिसमें 18 सदस्य हैं , ने भी उनका खूब सहयोग किया जिस कारण वह इस मुकाम को हासिल कर सकें । सन 2015 में उनका विवाह श्रीमती वैशाली मौर्य से हुआ जो कि वर्तमान में एएनएम के पद पर बिलारी CHC में तैनात हैं , ने भी रोहन द्वारा किए जा रहे इस सामाजिक कार्य में उनका पूर्ण सहयोग किया ।परिवार द्वारा मिला सहयोग रोहन को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहा है , ऐसा रोहन ने हमें बताया । इसके अतिरिक्त रोहन गांव में कक्षा 8 तक का एक स्कूल भी संचालित करते हैं जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं , रोहन के मुताबिक स्कूल द्वारा की गई आमदनी वह संस्थान में ही लगा देते हैं ताकि वहां रह रहे किसी भी व्यक्ति को कोई परेशानी न हो । रोहन के मुताबिक वह ₹ का सहयोग को स्वीकार नहीं करते सिर्फ घरेलू सामग्री संस्थान द्वारा स्वीकार की जाती है ।

संस्थान पर एक नजर : संस्थान का निर्माण कार्य चलता रहता है इस समय संस्थान में चार हॉल बरामदा दो लैट्रिन दो बाथरूम एक रसोईघर वा मैदान उपलब्ध है । रोहन ने बताया कि वहां रह रहे निराश्रितो व वृद्धजनों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से खाली मैदान पर ऑर्गेनिक खेती कराई जाती है , ताकि वह अपने खाने योग्य सब्जी उगा सकें और दूसरों पर निर्भर न रहे ।

संस्थान के नियम : रोहन देव ने अपने संस्थान के नियमों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संस्थान में आए हुए निराश्रित व्यक्ति या तो प्रशासन के माध्यम से यहां आते हैं या फिर हम उनका आधार कार्ड व अच्छे चाल चलन का एक एफिडेविट बनवा कर उन्हें यहां भर्ती कर लेते हैं । उन्होंने बताया कि यहां रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को नियमानुसार ही यहां रहना होता है यही हमारी प्राथमिकता है ।

भविष्य की योजनाएं : भविष्य में रोहन द्वारा बनाई गई अपनी योजनाओं के विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारा संस्थान मैं इस समय 50 व्यक्ति रह रहे हैं निराश्रित व्यक्ति रह रहे हैं और इसकी क्षमता 100 व्यक्ति तक रखने की , हमारे पास उपलब्ध है । वह कहते हैं निराश्रित व्यक्ति समाज द्वारा ठुकराया हुआ होता है । वह ईश्वर का धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि ईश्वर ने उन्हें दीन दुखियों की सेवा के लिए चुना वह इसके आभारी हैं और आजीवन वृद्धजनों एवं निराश्रितों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है ।
रोहन आगे कहते हैं परिवार में वृद्धजनों का अपमान उन्हें इस तरह के संस्थान की ओर रुख करने को विवश करता है ऐसा नहीं होना चाहिए । व्यक्ति को सोचना चाहिए कि वह भी एक दिन वृद्ध होगा, आज का समाज पश्चिमी सभ्यता की ओर बढ़ रहा है और उसके द्वारा बनाए गए नियमों का पालन कर रहा है परंतु इस आपाधापी में वह यह भूल जाता है कि संसार में भारतीय संस्कृति माता-पिता को ईश्वर का दर्जा और अतिथि देवो भवा का भाव हमें सिखाती है । सयुक्त परिवार भी इसी संस्कृति का हिस्सा है परंतु लोग धन संपत्ति के लालच में वृद्धजनों का अपमान करने से नहीं चूकते जो कि निंदनीय है व आने वाली पीढ़ी के लिए घातक है , हमें इस पर विचार करना चाहिए ।

प्रतिक्रिया :

1 डा राकेश रफीक
2 श्री लव कुमार गुप्ता
3 श्री आशीष शंकर पांडे
4 श्री मुकुट सिंह
5 श्री राजेन्द्र सहाय गुप्ता
6 श्री जितेन्द्र चौधरी
7 डा तिलक राज आहूजा

रोहन सामाजिक द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान को क्षेत्र की जनता ने भी खूब सराहा है और समय-समय पर आश्रम की सहायता के लिए अपना योगदान देती रही है । इसी क्रम में हमने क्षेत्र के कुछ चुनिंदा व्यक्तियों से “सामाजिक आश्रय मानव सेवा संस्थान” के विषय में चर्चा की तो उन्होंने आश्रम के प्रति अपने विचार इस प्रकार रखें ……..

1 – डॉ राकेश रफीक : क्षेत्र के जाने-माने शिक्षाविद व बिलारी को राष्ट्रीय स्तर पर अपने संघर्षों के माध्यम से पहचान दिलाने वाले डॉ राकेश रफीक जी ने भी इस आश्रम के द्वारा किए जा रहे कार्यो की सराहना की है , डॉ राकेश रफीक का कहना है कि रोहन द्वारा इस आश्रम में किए गए कार्य प्रशंसा के योग्य हैं । रोहन स्वयं भी इस आश्रम के लिए छोटे से छोटा काम करने से भी पीछे नहीं हटते यह बात उनकी संघर्षशील व्यक्तित्व को दर्शाती है ।

2 – श्री लव कुमार गुप्ता : क्षेत्र के जाने-माने सर्राफा कारोबारी श्री लव कुमार गुप्ता जी जोकि कुमार तन्य वैश्य सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं ने “सामाजिक आश्रय मानव सेवा संस्थान” के विषय में बात करते हुए कहा कि रोहन एक मेहनती व स्वाभिमानी लड़का है व उसके द्वारा किए जा रहे इस पावन कार्य में हमारा पूर्ण सहयोग है । और भी सक्षम लोगों को आगे आकर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए सहयोग करना चाहिए उस युवा के लिए इतना तो सहयोग बनता ही है

3 – श्रीआशीष शंकर पांडे : बिलारी नगर पालिका मे सभासद वाइस चेयरमैन पद पर आसीन श्री आशीष शंकर पांडे जी ने से जब हमने रोहन समाजिक के वृद्ध आश्रम के विषय में चर्चा की तो उन्होंने कहा कि रोहन की जितनी तारीफ की जाए वह कम है , वे कहते हैं जहां समाज में कुछ लोग अपने घर के वृद्धों का भी अपमान करने से नहीं चूकते वही रोहन द्वारा इन वृद्धों को आश्रय देकर सम्मान प्रदान करना निसंदेह तारीफ के काबिल है

4 -श्री मुकुट सिंह : ग्रामोदय महाविद्यालय एवं शोध संस्थान के संस्थापक श्री मुकुट सिंह जी ने भी रोहन समाजिक द्वारा चलाए जा रहे “सामाजिक आश्रय मानव सेवा संस्थान” के विषय में यह कहा कि प्रिय रोहन को मैं अनेकों वर्षों से जानता हूं, उनके काम करने का ढंग और उनके परिवार की तरफ से उन्हें पूरी छूट देने के लिए मैं उनका बहुत प्रशंसक हूं। उनके कामों में मेरे छोटे-मोटे सहयोग रहे हैं , जिसे मैंने खुशी-खुशी दिया है । मेरी अभिलाषा है कि रोहन केवल एक ही सेवा – काम में अपना सारा समय ना लगावें, वह कुछ और भी बड़े काम करें वे बहुत बड़े काम कर सकते हैं।

5 – श्री राजेंद्र सहाय गुप्ता :पूर्व सभासद व पश्चिम उत्तर प्रदेश उधोग व्यापार मंडल के जिला उपाध्यक्ष श्री राजेन्द्र सहाय गुप्ता जी कहते हैं वृद्ध आश्रम का निर्माण कर रोहन देव सामाजिक ने उम्र के इस पड़ाव पर अपनो से हारे हुए लोगो के लिए नया जीवन दिया है,इस उम्र में इतनी बड़ी सोच रखने वाले रोहन जी की लम्बी उम्र के लिए मैं ईस्वर से प्रार्थना करता हूँ, उनके द्वारा आश्रम में कई गयी व्यवस्थाऐं बहुत अचछी है, मैं आश्रम के लिए रोहन जी का निःस्वार्थ सहयोग करने के लिए सदैव तैयार हूँ।

6- श्री जितेंद्र चौधरी : अखिल भारतीय प्रधान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जितेंद्र चौधरी जी से जब हमने “सामाजिक आश्रय मानव सेवा संस्थान” के विषय में चर्चा की तो उन्होंने रोहन देव सामाजिक द्वारा किए जा रहे इस कार्य को खुले मन से सराहा और कहा कि इस तरह के कार्यों को लोग जीवन भर व इसके पश्चात भी सालों तक याद रखते हैं । इसके अतिरिक्त श्री जितेंद्र चौधरी जी कहते हैं कि इस तरह के कार्यों को करने के लिए एक अदृश्य शक्ति भी व्यक्ति की मदद करती है जो उसे निरंतर इस तरह के कार्य करने के लिए प्रेरित करती रहती है ।

7- डॉक्टर तिलक राज आहूजा : नगर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर तिलक राज आहूजा ने ग्राम ग्वार खेड़ा में स्थित “सामाजिक आश्रय मानव सेवा संस्थान” के विषय में कहा कि रोहन देव सामाजिक के द्वारा किया गया कार्य बेमिसाल है और आज के युवाओं को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए ।
यह लेखन कार्य विवेक आहूजा जी के मार्गदर्शन में हुआ है